Kernel क्या है? Kernel Meaning in Hindi
हेल्लो दोस्तों, अगर आप कंप्यूटर के बारे में जानकारी रखते हैं या आपको कंप्यूटर सॉफ्टवेयर से related जानकारी लेना पसंद है तो आपने kernel का नाम पहले जरूर सुना होगा, यह कंप्यूटर का एक जरूरी हिस्सा है अगर आप नहीं जानते हैं की kernel क्या होता है और आपके मन में भी कुछ ऐसे ही सवाल उठ रहे हैं की यह क्या होता है यह कंप्यूटर के लिए क्यूँ जरूरी होता है तो कोई बात नहीं बस इस पोस्ट को आगे पड़ते रहिये क्यूंकि इसमें हम कुछ ऐसे ही सवालों के जवाब जानेंगे की Kernel क्या है? इसके क्या काम है और यह कंप्यूटर के लिए इतना जरूरी क्यूँ होता है और साथ ही जानेंगे की Karnel काम कैसे करता है? तो इन सभी सवालों को ध्यान में रखते हुए चलिए बढ़ते हैं आगे।
किसी भी Operating System को बनाते समय सबसे पहले उसका kernel ही बनाया जाता है kernel कंप्यूटर के हार्डवेयर से direct communicate करता है और यह operating system की सबसे निचली layer होती है यह बहुत अहम भूमिका है। हमारे सॉफ्टवेयर तभी काम कर पाते हैं जब वे हार्डवेयर से directly या indirectly communicate कर पाएं क्यूंकि अगर हमारे सॉफ्टवेयर हार्डवेयर से communicate ही नहीं कर पाएंगे तो वे चलेंगे किस पर।
अगर सरल भषा में समझें तो kernel कुछ जरूरी resources का समूह होता है जिन resources में कंप्यूटर के हार्डवेयर जैसे keyboard या mouse को चलाने की जानकारी होती है जैसे मान लीजिये अगर आप अपने कंप्यूटर में कोई डॉक्यूमेंट टाइप कर रहे हैं तो अगर आप document अपने कंप्यूटर के keyboard से टाइप कर पा रहे है तो आप अभी kernel का keyboard से सम्बंधित रिसोर्स इस्तेमाल कर रहे हैं और अगर आप उस फाइल को सेव कर पा रहे हैं तो आप Hard disk से सम्बंधित रिसोर्स इस्तेमाल कर रहें है।
Kernel में उपस्थित resources या Drivers कंप्यूटर के सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के बीच एक translator का काम करते है एक तरह से communicate करने का काम करते हैं जो सॉफ्टवेयर द्वारा दी गयी जानकारी को हार्डवेयर की भाषा में बदल कर हार्डवेयर को देते हैं और हार्डवेयर से इनपुट लेकर सॉफ्टवेयर तक पहुचाते हैं।
कंप्यूटर में चार तरह के kernel होते हैं -
यह kernel एक बहुत ही पोपुलर kernel है यह हमें कंप्यूटर हार्डवेयर पर बहुत ही high level virtual interface provide करता है जिससे हम बहुत ही डायनामिक सॉफ्टवेयर भी बहुत ही आसानी से run कर पाते हैं इस तरह के kernel की कई विशेषताएं होती हैं जैसे इसमें Device drivers को module के रूप में अलग से भी ऐड किया जा सकता है। और यह kernel ज्यादातर linux में इस्तेमाल किया जाता है।
इस तरह का kernel कम से कम resources से बना होता है यह लगभग इतने ही काम करता है जितने कामों की एक operating system को चलने के लिए जरूरत होती है इस तरह के kernel आज कल बहुत ज्यादा इस्तेमाल नहीं किये जाते लेकिन servers में इन्हें ज्यादातर इस्तेमाल किया जाता है क्यूंकि server को run करने के लिए हमें बहुत ज्यादा resources की आवश्यकता नहीं होती।
यह kernel Monolithic और Microkernel दोनों का mixed version होता है और सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला kernel भी है इसे बड़े बड़े commercial operating systems जैसे Microsoft Windows XP, 7, 8, 10 आदि में इस्तेमाल किया जाता है और साथ ही Apple के Mac OS में भी इस्तेमाल होता है ये Microkernel की तरह ही होते है लेकिन काफी हद तक Monolithic kernel की फंक्शनलिटी भी उसे करते हैं।
इस तरह के kernal Microkernal से भी छोटे होते हैं और बहुत ही कम मात्रा में मेमोरी का इस्तेमाल कर पाते हैं। यह काफी customized operating systems के लिए बनाये जाते हैं।
इस तरह के kernel बाकी kernel से बहुत अलग होते हैं ये ज्यादातर हमें देखने को नहीं मिलेंगे।
सभी तरह के devices जैसे Keyboard, Mouse, Monitor, Printer आदि को किसी भी सॉफ्टवेयर के द्वारा request भेजने पर या हार्डवेयर से Request आने पर उस request को kernel द्वारा ही मैनेज किया जाता है और उपर्युक्त Input या Output काम किया जाता है। और कई सारी request एक साथ आने पर उन्हें मैनेज करता है।
लगभग हर तरह के जरूरी काम के लिए Process को कंप्यूटर में लगे हार्डवेयर या device की जरूरत होती है और उस Process को हार्डवेयर या उपर्युक्त device से Kernel ही कनेक्ट कराने का काम करता है। और अलग-अलग Devices को इन सभी कामो के लिए मैनेज भी करता है।
यहाँ Memory management का सीधा मतलब है की RAM management से हम सभी जानते हैं की हम जितने भी सॉफ्टवेयर या resources अपने कंप्यूटर में रन कर रहे होते हैं वे Run होते Time में RAM के अन्दर ही होते हैं जिन्हें kernel ही मैनेज करता है अगर हम अपनी मेमोरी के storage से ज्यादा बड़े software एक साथ रन करें तो उसे भी हमारा kernel बड़े ही आराम से मैनेज करता है और सारे सॉफ्टवेयर बारी बारी से Run भी कराता है।
Memory में रखे और सिस्टम में रन हो रहे सभी तरह के resources को मैनेज करने का काम भी kernel का ही होता है इन सभी को मेमोरी में कैसे स्टोर करना है और अगर कुछ resources या processes को आपस में communicate करना है तो यह kernel के द्वारा ही रन हो पता है। इसके लिए kernel बहुत सारे अलग-अलग methods भी provide कराता है।
Kernel कंप्यूटर में run हो रहे हर तरह के Process को मैनेज करने के लिए भी जिम्मेदार होता है यह कंप्यूटर में अलग-अलग thread में रन हो रहे process को मैनेज करता है अगर दो processes को जो अलग-अलग run हो रही है आपस में communicate करना है तो इसके लिए kernel एक मेथड provide कराता है जिसे Inter-Process Communication कहा जाता है। इसके अलावा भी kernel बहुत सारी अलग-अलग methods provide कराता है जिन्हें अलग-अलग कामो में इस्तेमाल किया जाता है।
मान लीजिये आपको एक डॉक्यूमेंट टाइप करके प्रिंट निकालना है तो आप सबसे पहले अपने कीबोर्ड का इस्तेमाल करके उस डॉक्यूमेंट को टाइप करोगे और फिर उसके बाद Print का बटन दबाकर उस डॉक्यूमेंट का प्रिंटर के जरिये इ प्रिंट निकाल लोगे लेकिन इस पुरे प्रोसेस में हार्डवेयर यानी keyboard हमारे सॉफ्टवेयर से कम्यूनिकेट कर रहा है और उसके बाद हमारा सॉफ्टवेयर हार्डवेयर से यानी प्रिंटर से लेकिन यह सब karnal की बजह से ही संभव हो पाता है सबसे पहले kernal keyboard से इनपुट लेता है और उसको मशीनी भाषा से सामान्य भाषा में change करता है। और यही सब होने के बाद हमें display पर वह सारे शब्द दिखाई देते हैं उसके बाद हम जैसे ही Print का बटन दबाते हैं तो हमारा सॉफ्टवेयर operating system के पास प्रिंट का मेसेज भेजता है और operating system kernel के पास और kernel फिर से उसे समान्य से मशीनी भाषा में बदल देता है और उसके बाद प्रिंटर को एक मेसेज के साथ वह सारा data दे देता है और प्रिंटर उस मेसेज को समझ कर उस डॉक्यूमेंट को प्रिंट कर देता है।
दोस्तों, हमें पूरी उम्मीद है की आपको हमारे द्वारा दी गयी Kernel क्या है? Kernal Meaning in Hindi इस बारे में यह जानकारी पसंद आई होगी और Kernel क्या है और इसका क्या काम है? और साथ ही बताया Kernel कैसे काम करता है? इस बारे में जानकारी मिल गयी होगी अब अगर आपको लगता है की यह पोस्ट आपको दोस्तों के काम भी आ सकती है तो इसे उनके साथ भी जरूर शेयर करें ताकि उन्हें भी इस बारे में कुछ जानने को मिले और अगर आप इस तरह की और भी जानकारी चाहते हैं तो हमें हमारे सोशल मीडिया accounts पर भी जरूर follow करें ताकि आप हमारी लेटेस्ट पोस्ट सबसे पहले पड़ पाएं।
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Kernel क्या है? What is kernel?
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Kernel kya hai |
दोस्तों, Kernel हमारे Computer के Operating System का बहुत ही जरूरी हिस्सा होता है या एक तरह से यह Operating System का base होता है जो कंप्यूटर के हार्डवेयर तक message पहुचाने का काम करता है kernel और कुछ नहीं बस Computer के लिए कुछ जरूरी drivers का एक समूह होता है जिसके अंदर वे सभी जरूरी drivers या resources मौजूद रहते हैं जिनकी जरूरत कंप्यूटर को चलाने के लिए पड़ती है कर्नल Operating System का सबसे निचला भाग होता है और यही भाग हार्डवेयर के काफी करीब होता है। मतलब अगर हार्डवेयर से Operating System का कोई भाग डायरेक्ट Interact कर पाता है तो वो kernel है।
किसी भी Operating System को बनाते समय सबसे पहले उसका kernel ही बनाया जाता है kernel कंप्यूटर के हार्डवेयर से direct communicate करता है और यह operating system की सबसे निचली layer होती है यह बहुत अहम भूमिका है। हमारे सॉफ्टवेयर तभी काम कर पाते हैं जब वे हार्डवेयर से directly या indirectly communicate कर पाएं क्यूंकि अगर हमारे सॉफ्टवेयर हार्डवेयर से communicate ही नहीं कर पाएंगे तो वे चलेंगे किस पर।
अगर सरल भषा में समझें तो kernel कुछ जरूरी resources का समूह होता है जिन resources में कंप्यूटर के हार्डवेयर जैसे keyboard या mouse को चलाने की जानकारी होती है जैसे मान लीजिये अगर आप अपने कंप्यूटर में कोई डॉक्यूमेंट टाइप कर रहे हैं तो अगर आप document अपने कंप्यूटर के keyboard से टाइप कर पा रहे है तो आप अभी kernel का keyboard से सम्बंधित रिसोर्स इस्तेमाल कर रहे हैं और अगर आप उस फाइल को सेव कर पा रहे हैं तो आप Hard disk से सम्बंधित रिसोर्स इस्तेमाल कर रहें है।
Kernel में उपस्थित resources या Drivers कंप्यूटर के सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के बीच एक translator का काम करते है एक तरह से communicate करने का काम करते हैं जो सॉफ्टवेयर द्वारा दी गयी जानकारी को हार्डवेयर की भाषा में बदल कर हार्डवेयर को देते हैं और हार्डवेयर से इनपुट लेकर सॉफ्टवेयर तक पहुचाते हैं।
Kernel के टाइप्स
कंप्यूटर में चार तरह के kernel होते हैं -
Monolithic kernel
यह kernel एक बहुत ही पोपुलर kernel है यह हमें कंप्यूटर हार्डवेयर पर बहुत ही high level virtual interface provide करता है जिससे हम बहुत ही डायनामिक सॉफ्टवेयर भी बहुत ही आसानी से run कर पाते हैं इस तरह के kernel की कई विशेषताएं होती हैं जैसे इसमें Device drivers को module के रूप में अलग से भी ऐड किया जा सकता है। और यह kernel ज्यादातर linux में इस्तेमाल किया जाता है।
Microkernel
Hybrid kernel
यह kernel Monolithic और Microkernel दोनों का mixed version होता है और सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला kernel भी है इसे बड़े बड़े commercial operating systems जैसे Microsoft Windows XP, 7, 8, 10 आदि में इस्तेमाल किया जाता है और साथ ही Apple के Mac OS में भी इस्तेमाल होता है ये Microkernel की तरह ही होते है लेकिन काफी हद तक Monolithic kernel की फंक्शनलिटी भी उसे करते हैं।
Nano kernel
इस तरह के kernal Microkernal से भी छोटे होते हैं और बहुत ही कम मात्रा में मेमोरी का इस्तेमाल कर पाते हैं। यह काफी customized operating systems के लिए बनाये जाते हैं।
Exokernel
इस तरह के kernel बाकी kernel से बहुत अलग होते हैं ये ज्यादातर हमें देखने को नहीं मिलेंगे।
kernel के काम | Functions
I/O management
Device management
लगभग हर तरह के जरूरी काम के लिए Process को कंप्यूटर में लगे हार्डवेयर या device की जरूरत होती है और उस Process को हार्डवेयर या उपर्युक्त device से Kernel ही कनेक्ट कराने का काम करता है। और अलग-अलग Devices को इन सभी कामो के लिए मैनेज भी करता है।
Memory management
Resource management
Memory में रखे और सिस्टम में रन हो रहे सभी तरह के resources को मैनेज करने का काम भी kernel का ही होता है इन सभी को मेमोरी में कैसे स्टोर करना है और अगर कुछ resources या processes को आपस में communicate करना है तो यह kernel के द्वारा ही रन हो पता है। इसके लिए kernel बहुत सारे अलग-अलग methods भी provide कराता है।
Process management
Kernel कंप्यूटर में run हो रहे हर तरह के Process को मैनेज करने के लिए भी जिम्मेदार होता है यह कंप्यूटर में अलग-अलग thread में रन हो रहे process को मैनेज करता है अगर दो processes को जो अलग-अलग run हो रही है आपस में communicate करना है तो इसके लिए kernel एक मेथड provide कराता है जिसे Inter-Process Communication कहा जाता है। इसके अलावा भी kernel बहुत सारी अलग-अलग methods provide कराता है जिन्हें अलग-अलग कामो में इस्तेमाल किया जाता है।
Kernel कैसे काम करता है?
जैसा की हम पहले भी जान चुके हैं की Operating System को kernel की जरूरत हार्डवेयर से Communicate करने के लिए पड़ती है और इसी लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है आये इसका एक और उदहारण देखते हैं -मान लीजिये आपको एक डॉक्यूमेंट टाइप करके प्रिंट निकालना है तो आप सबसे पहले अपने कीबोर्ड का इस्तेमाल करके उस डॉक्यूमेंट को टाइप करोगे और फिर उसके बाद Print का बटन दबाकर उस डॉक्यूमेंट का प्रिंटर के जरिये इ प्रिंट निकाल लोगे लेकिन इस पुरे प्रोसेस में हार्डवेयर यानी keyboard हमारे सॉफ्टवेयर से कम्यूनिकेट कर रहा है और उसके बाद हमारा सॉफ्टवेयर हार्डवेयर से यानी प्रिंटर से लेकिन यह सब karnal की बजह से ही संभव हो पाता है सबसे पहले kernal keyboard से इनपुट लेता है और उसको मशीनी भाषा से सामान्य भाषा में change करता है। और यही सब होने के बाद हमें display पर वह सारे शब्द दिखाई देते हैं उसके बाद हम जैसे ही Print का बटन दबाते हैं तो हमारा सॉफ्टवेयर operating system के पास प्रिंट का मेसेज भेजता है और operating system kernel के पास और kernel फिर से उसे समान्य से मशीनी भाषा में बदल देता है और उसके बाद प्रिंटर को एक मेसेज के साथ वह सारा data दे देता है और प्रिंटर उस मेसेज को समझ कर उस डॉक्यूमेंट को प्रिंट कर देता है।
दोस्तों, हमें पूरी उम्मीद है की आपको हमारे द्वारा दी गयी Kernel क्या है? Kernal Meaning in Hindi इस बारे में यह जानकारी पसंद आई होगी और Kernel क्या है और इसका क्या काम है? और साथ ही बताया Kernel कैसे काम करता है? इस बारे में जानकारी मिल गयी होगी अब अगर आपको लगता है की यह पोस्ट आपको दोस्तों के काम भी आ सकती है तो इसे उनके साथ भी जरूर शेयर करें ताकि उन्हें भी इस बारे में कुछ जानने को मिले और अगर आप इस तरह की और भी जानकारी चाहते हैं तो हमें हमारे सोशल मीडिया accounts पर भी जरूर follow करें ताकि आप हमारी लेटेस्ट पोस्ट सबसे पहले पड़ पाएं।
इसके अलावा अगर आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव है तो हमे कमेंट करके जरूर बताएं हमे जान कर और उनका जवाब देकर हमे बहुत ख़ुशी 😊 होगी। और अगर आपको इस ब्लॉग के बारे में कुछ जरूरी बताना है तो हमें हमारे Contact us पेज से भी भेज सकते हैं।
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